बूरे वक्त से डरे नहीं बल्कि उसका डट कर सामना करें।

नमस्कार दोस्तों,
आज की इस पोस्ट में मैं आपको एक मोटिवेशन देने वाला हूँ, कि अगर आपके जीवन में कोई बूरा वक्त या कष्ट आये तो आप उससे डरीय मत बल्कि उसका डट कर सामना कीजिए, क्योंकि आपके जीवन में कुछ भी होता है वह आपके भले के लिए ही होता है। इसको आप अपने जीवन में कई बार महसूस भी किये होंगे। तो चलिए इस पोस्ट को एक कहानी के द्वारा अच्छी तरह से समझते है।


किसी गाँव में चंदन नाम का एक मूर्तिकार रहता था। गांव में कोई काम नहीं मिलने के कारण वह काम की तलाश में गांव से शहर की ओर चल पड़ा। दोपहर हो गई थी, सूर्य सिर पर चढ़ चुका था जिसकी वजह से बहुत ज्यादा धुप लग रही थी। इसलिए परेशान न होकर वह मूर्तिकार एक छायादार पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा। पेड़ के आस-पास पत्थर के बहुत सारे टुकड़े पड़े थे। उसने सामने पड़ा एक पत्थर का टुकड़ा उठा लिया। फिर अपने औजारों की थैली से छेनी- हथौड़ी निकालकर वह उसे तराशने लगा। उसने एक पत्थर पर जैसे ही पहली चोट की, पत्थर जोर से चिल्ला पड़ा, मुझे मत मारों। दुसरी बार में तो वह रोने लगा। मूर्तिकार ने उसे छोड़ दिया। फिर उसने अपने मनपसंद की एक अन्य पत्थर के टुकड़े को उठाया और फिर उसे भी तराशने लगा।

वह दुसरा टुकड़ा चुपचाप हर चोट को सहता गया। देखते-ही-देखते वह पत्थर का टुकड़ा एक सुंदर देवी की मूर्ति बन गई। चंदन मूर्ति को वहीं पेड़ के नीचे रखकर वह शहर की ओर चल पड़ा। शहर पहुंचते ही उसे काम मिल गया। वह खुशी-खुशी काम करने लगा। शहर में काम करते-करते कई वर्ष बीत गए। लम्बे समय के बाद वह फिर उसी रास्ते से वापस अपने गांव की तरफ लौट रहा था, तो वह उस स्थान पर पहुंच कर देखा कि उस मूर्ति की पूजा-अर्चना हो रही है, जिसे उसने बनायी थी। वहां काफी भीड़ लगी है। भजन-कीर्तन हो रही है, भक्तों की लम्बी कतारें लगी है। जब वह भीड़ के अंदर दर्शन के लिए गया, तो वह दंग रह गया। उसने देखा कि वर्षों पहले उसकी बनायी मूर्ति के सामने न जाने क्या-क्या रखा है। फल-फूल, तरह-तरह के पकवान आदि। वह पत्थर का टुकड़ा, जिसे उसने रोने-चिल्लाने पर छोड़ दिया था, वह भी एक ओर पड़ा है और लोग उसके सिर पर नारियल फोड़-फोड़ कर देवी की मूर्ति पर चढ़ा रहे हैं। वह उसी पल सोच में पड़ गया।

वापस घर आने के बाद वह उस पत्थर के बारे में ही सोचता रहा। बाद में उसने निष्कर्ष निकाला कि जो लोग थोड़ा कष्ट झेल लेते है, उनका जीवन हमेशा के लिए बन जाता है। लोग उनका रिस्पेक्ट करते है, लेकिन जो लोग थोड़े-से कष्ट से डरकर भागना चाहते है। वे बाद में जीवन भर कष्ट झेलते है। उनका रिस्पेक्ट कोई नहीं करता। उस घटना ने उस मूर्तिकार का पूरा जीवन ही बदल कर रख दिया।

तो जी हाॅ दोस्तों अगर आपके जीवन में ऐसी छोटी-मोटी कठिनाई, कष्ट आये तो आप उसका डट कर सामना करें, और अपने आप से ये कहे कि यार हमें तो ये बनना है, ये करना है इन छोटी-मोटी बातों से हमें कुछ नहीं होने वाला "चलों अपना काम करते हैं"।

तो दोस्तों कैसी लगी ये पोस्ट हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें। अगर आपके जीवन में कोई ऐसी रोचक घटना हुई है, जिससे लोगो को एक अच्छी सिख मिल सकती है, तो कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें। मुझे उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगी।

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4 Comments

  1. बढ़िया भी.. आपने ये ब्लॉग ब्लॉगर से बनाया क्या?

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    1. Haa bro maine ye blog Blogger se hi banaya hai. Aur mai abhi Blogger pe hi blogging karta hoon.

      Thanks bro..

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    2. Haa Blogger par hai, thanks for commenting.

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  2. This comment has been removed by a blog administrator.

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