हैलो दोस्तों,
आज मैं एक बेहद रोमांटिक मोटिवेशनल पोस्ट कर रहा हूँ। जैसे कि आप उपर हेडिंग में लिखे गए शब्दों से समझ गये होंगे। आज का मेरा यह पोस्ट "मेहनत" शब्द से सम्बन्धित है। तो चलिए इस पोस्ट को एक कहानी द्वारा शुरू करते हैैै। और जानते है कि मेहनत का एहसास क्या होता है?
दोस्तों, एक गांव में एक बूढ़ा आदमी अपने बेटे की वजह से बहुत दुखी रहता था, क्योंकि उनका बेटा बहूत आलसी और गैर जिम्मेदार था और हमेशा दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता। वे अपने पुत्र को एक मेहनती इंसान बनाना चाहते थे। उनकी अपनी एक दुकान भी थी, वे अक्सर अपने पुत्र को डांटते थे, लेकिन पुत्र उनकी बात पे ध्यान ही नहीं देता था। एक दिन तंग आकर उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि आज तुम घर से बाहर जाओ और शाम तक अपनी मेहनत से कुछ कमाकर लाओ, नहीं तो आज शाम को खाना नहीं मिलेगा।
लड़का बहुत परेशान हो गया। वह रोते हुए अपनी मां के पास गया और उन्हें रोकर सारी बातें बतायी। मां का दिल पसीज गया और उन्होंने उसे एक सोने का सिक्का दिया कि जाओ और शाम को पिताजी को दिखा देना। लड़के ने वैसा ही किया शाम को जब पिता ने पुछा की क्या कमा कर लाये हो, तो उसने वह सोने का सिक्का दिखा दिया। पिता यह देखकर सारी बात समझ गये। उन्होंने पुत्र से वह सिक्का कुएं में डालने को कहा- लड़के ने खुशी-खुशी सिक्का कुएं में फेंक दिया।
अगले दिन पिता ने मां को अपने मायके भेज दिया और लड़के को फिर से कमा के लाने को कहा। इस बार लड़का रोते हुए अपनी बड़ी बहन के पास गया, तो बहन जी ने दस रुपये दे दिये। लड़के ने फिर शाम को पैसे लाकर पिता को दिखा दिया। पिता ने कहा कि इसे भी जाकर कुएं में डाल दो। लड़के ने फिर पैसे को कुएं में डाल दिया।
अगले दिन पिता ने बहन को भी उसके ससुराल भेज दिया। और फिर लड़के से कमा के लाने को कहा। लो अब क्या होगा बहन जी भी चली गई। अब तो लड़के के पास कोई चारा नहीं था। वह रोता हुआ बाजार की ओर गया। और वंहा उसे एक सेठ ने कुछ लकड़ियां अपने घर तक ढ़ोने का काम दिया और इसके बदले में उसे दो रुपये देने की बात कही। लड़के ने लकड़ियां उठायीं और सेठ के साथ चल पड़ा। रास्ते में चलते-चलते उसके पैरों में छाले पड़ गये। हाथ-पैर भी दर्द करने लगे। शाम को जब पिताजी को दो रुपये दिखाये, तो पिता ने फिर से कहा कि जाओ बेटा इसे भी कुएं में डाल दो, तो लड़का गुस्सा होते हुए बोला कि मैंने इतनी मेहनत से पैसे कमाये हैं और आप इसे कुएं में डालने को बोल रहे हैं, जाइए मैं नहीं डालूंगा। यह बात सुनकर पिता ने मुस्कराते हुए कहा कि यही तो मैं तुम्हें सिखाना चाहता था। तुमने सोने का सिक्का, तो कुएं में फेंक दिया, लेकिन दो रुपये फेंकने में डर रहे हो, क्योंकि ये तुमने मेहनत से कमाएं हैं।
इस बार पिता ने दुकान की चाबी निकाल कर बेटे के हाथ में दे दी और बोले कि आज वास्तव में तुम इसके लायक हुए हो। क्योंकि आज तुम्हें मेहनत का एहसास हो गया है।
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